Vikramotsav 2025: 26 फरवरी को मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव करेंगे शुभारंभ, महाशिवरात्रि से 30 जून तक 125 दिन होंगे विभिन्न कार्यक्रम

उज्जैन लाइव, उज्जैन, श्रुति घुरैया:

26 फरवरी को जब पूरा उज्जैन बाबा महाकाल की भक्ति में डूबा होगा, वहीं शहर की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर को समर्पित भव्य विक्रमोत्सव 2025 का शुभारंभ भी होगा। महाशिवरात्रि की इस पावन तिथि पर उज्जैनवासियों के लिए आध्यात्म और संस्कृति का दिव्य संगम देखने को मिलेगा।

हर साल की तरह इस बार भी महाशिवरात्रि पर महाकालेश्वर मंदिर में विशेष अनुष्ठान, रुद्राभिषेक और भव्य शृंगार किया जाएगा। पूरे शहर में शिवभक्तों का सैलाब उमड़ेगा, और हर गली-मोहल्ले में “हर हर महादेव” की गूंज सुनाई देगी। वहीं, विक्रमोत्सव 2025 के तहत सांस्कृतिक कार्यक्रम, पारंपरिक नृत्य, संगीत और ऐतिहासिक झांकियों के जरिए महाराज विक्रमादित्य के स्वर्णिम युग को जीवंत किया जाएगा। विक्रमोत्सव अंतर्गत विक्रम व्यापार मेले का भी कल शुभारंभ किया जाएगा।

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव करेंगे विक्रमोत्सव 2025 का शुभारंभ 

जानकारी के लिए बता दें, विक्रमोत्सव 2025 का आगाज केंद्रीय संस्कृति और पर्यटन मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत की उपस्थिति में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव महाशिवरात्रि यानि की 26 फरवरी को करेंगे। निगम आयुक्त पाठक ने बताया कि इस बार विक्रम व्यापार मेला 2025 के अंतर्गत इंजीनियरिंग कॉलेज परिसर में होगा। इसके साथ ही, 26 फरवरी को शाम 7 बजे दशहरा मैदान में विक्रमादित्य वैदिक घड़ी एप का लोकार्पण भी किया जाएगा।

इस उत्सव का पहला चरण सृष्टि आरंभ दिवस, वर्ष प्रतिपदा (30 मार्च 2025) को खत्म होगा, और इसी दिन जल गंगा संवर्धन अभियान की शुरुआत भी होगी, जो 30 जून 2025 तक मध्यप्रदेश की नदियों, तालाबों और जल संरचनाओं के संरक्षण के लिए कार्यक्रम आयोजित करेगा।

कलश यात्रा से होगी विक्रमोत्सव की शुरुआत, हंसराज रघुवंशी करेंगे परफॉर्म

बता दें, इस साल विक्रमोत्सव की शुरुआत कलश यात्रा से होगी, जिसमें आपको विन्टेज कारें, स्पोर्ट्स बाइक्स और जनजातीय कलाकारों का शानदार प्रदर्शन देखने को मिलेगा। मुख्य कार्यक्रम में मध्यप्रदेश के 51 प्रमुख महाशिवरात्रि मेलों का उद्घाटन और सिंहस्थ 2028 की योजना का अनावरण होगा। वहीं, शाम को आनंदन शिवमणि और उनकी टीम के साथ हंसराज रघुवंशी का म्यूजिक भी सुनने को मिलेगा। इसके अलावा, विक्रम व्यापार मेला, वस्त्रोद्योग, हाथकरघा उपकरणों की प्रदर्शनी, जनजातीय शिल्प, पारंपरिक खाने और जनजातीय चिकित्सा शिविर का आयोजन भी किया जाएगा।

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महाराजा विक्रमादित्य शोधपीठ के निदेशक ने विक्रमोत्सव के बारे में विस्तार से जानकारी देते हुए कहा –

  • विक्रमोत्सव के दौरान ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहरों पर केंद्रित विशेष प्रदर्शनियाँ आयोजित की जाएंगी। इनमें सम्राट विक्रमादित्य, भारतीय ऋषि वैज्ञानिक परंपरा, देवी अहिल्याबाई, श्रीकृष्ण की 64 कलाएँ, शैव परंपरा, अयोध्या का इतिहास और देवी के 108 स्वरूपों पर आधारित प्रदर्शनी प्रमुखता से दिखाई जाएंगी।
  • पूरे देश से लोक कलाकार, नृत्य दल और संगीतकार इस आयोजन में भाग लेंगे। खासतौर पर जनजातीय संस्कृति को प्रोत्साहित करने के लिए भीली और गोंडी जनजातियों की पारंपरिक कलाओं को प्रदर्शित करने के लिए कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा।
  • भारतीय इतिहास और नवजागरण पर चर्चा होगी, साथ ही विक्रमादित्य के शासनकाल और भारतीय संस्कृति के विकास पर विशेष सत्र आयोजित किया जाएगा। भारतीय दर्शन, अध्यात्म और ज्योतिष पर भी गहन व्याख्यान होगा। हस्तशिल्प, पारंपरिक व्यंजन, वस्त्र उद्योग और हथकरघा उपकरणों की आकर्षक प्रदर्शनी।

125 दिनों तक चलने वाला एकमात्र उत्सव

उन्होंने बताया की कि 18 वर्ष पहले भारत की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर और सम्राट विक्रमादित्य के ऐतिहासिक महत्व को उजागर करने के लिए शुरू किया गया विक्रमोत्सव, अब 125 दिनों तक चलने वाला एक भव्य और बहुआयामी अंतर्राष्ट्रीय उत्सव बन चुका है। यह संभवतः दुनिया का एकमात्र ऐसा उत्सव है जो इतनी लंबी अवधि तक चलता है। निदेशक ने बताया कि 2006 से लगातार विक्रमोत्सव का आयोजन हो रहा है, जिसमें ऐतिहासिक, सांस्कृतिक, वैचारिक, साहित्यिक, वैज्ञानिक, सामाजिक, व्यावसायिक और विरासत के विभिन्न पहलुओं को शामिल किया गया है।

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बता दें, विक्रमोत्सव 2025 के दौरान अलंकरण समारोह भी आयोजित किया जाएगा।

  1. महाराजा विक्रमादित्य राष्ट्रीय सम्मान: यह सम्मान सम्राट विक्रमादित्य के विविध गुणों जैसे न्याय, दान, वीरता, सुशासन, खगोल और ज्योतिष विज्ञान, कला, शौर्य, प्राच्य साहित्य, राजनय, आध्यात्मिकता और जनकल्याण में उनके महत्वपूर्ण योगदान को मान्यता देने के लिए स्थापित किया गया है। यह सम्मान हर साल दिया जाएगा। इसके अंतर्गत 21 लाख रुपये की राशि, प्रशस्ति पत्र और सम्मान पट्टिका प्रदान की जाएगी।
  2. सम्राट विक्रमादित्य शिखर सम्मान: यह सम्मान सम्राट विक्रमादित्य के अद्वितीय गुणों जैसे न्याय, खगोल और ज्योतिष विज्ञान, शौर्य, साहित्य, राजनय और आध्यात्मिकता के क्षेत्र में उनके महत्वपूर्ण योगदान को मान्यता देने के लिए बनाया गया है। हर वर्ष यह सम्मान तीन प्रतिष्ठित व्यक्तियों या संस्थाओं को दिया जाएगा। पहले श्रेणी में न्याय, दानशीलता, वीरता और सुशासन शामिल हैं। दूसरी श्रेणी में खगोल और ज्योतिष विज्ञान के साथ प्राच्य साहित्य को सम्मिलित किया गया है, और तीसरी श्रेणी में रचनात्मक और जनकल्याणकारी कार्य करने वाले व्यक्तियों या संस्थाओं को सम्मानित किया जाएगा। इस सम्मान के अंतर्गत 5 लाख रुपये की राशि और प्रशस्ति पत्र प्रदान किया जाएगा।

 

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